Monday, January 11, 2010

सांसत में अभिभावक बच्चे बेपरवाह

जोधपुर। नए साल के आरम्भ में लगने वाला चन्द्रग्रहण प्राकृतिक तौर पर भले ही विनाश लीला रचे या न रचे लेकिन यह ग्रहण कई घरों की खुशियां जरूर लील सकता है। यही वजह है कि इन दिनों शहर के उन अधिकांश घरों में अभिभावकों की सांसे फूली हुई है जिनके यहां जवान बेटियां है। ज्यों ज्यों युवाओं में नए साल के जश्न की तैयारियां तेज हो रही है इन अभिभावकों के चेहरों पर चिंता की लकीरें गहरी हो रही है। पिछले दिनों जिस तरह से टीवी धारावाहिकों में युवाओं का जोश इस दिन को सेलिब्रेट करने को लेकर दिखाया जा रहा है कमोबेश वैसा ही उत्साह और कुछ उसी तरह ही बीते साल को विदाई देने की तत्परता युवाओं विशेषकर कॉलेज गोइंग गर्ल्स के दिलों में हिलोरे मारती हुई महसूस हो रही है। कई बेटियां अभी से ही अपने मां बाप से 31 दिसंबर को इस बार घर से बाहर सेलिब्रेट करने की परमिशन मांगने लगी है। इस स्थिति से घरों में ऊहापोह की स्थिति है। अभिभावकों की चिंता लाजिमी है वहीं बेटियों का उत्साह भी अपनी जगह ठीक है। असमंजस दरअसल इन दिनों बदले माहौल को लेकर है। होटलों में नये साल का जश्न किस तरह से मनता है और वहां क्या होता है यह अब अपने शहर में भी किसी से छिपा हुआ नहीं है। घरों से अपनी सहेलियों के साथ जाकर लड़कियां किस तरह कुछ ही दूरी पर अपने बॉय फ्रेंड की गाडियों में सवार हो जाती है यह भी हर रोज शहर देख ही रहा है। स्थिति अगर यहां तक ही रहे तो भी अभिभावक अपना मन कड़ा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें डर है कि इस दिन स्थितियां हदें लांघ सकती है क्योंकि जोश में युवा खुले आम शराब पीते हैं और उसके नशे में ही झूमते हैें और सच तो यह है कि जोधपुर के विभिन्न हॉस्टलों में रह रही कई युवतियां भी रईस लड़कों के साथ मदहोश होने में पीछे नहीं रहती। पिछले कुछेक सालों का शहर का अनुभव जिस तस्वीर को अपनी यादों में संजोए हुए हैं वो कुछ ऐसी ही है। बच्चों को बराबर समझने और उन्हें खुला छोड़ कर उनकी हर इच्छाओं को पूरा करने की तेज होती प्रवृत्ति अब इन दिनों अभिभावकों को अखर रही है। उनका पूरा प्रयास यही है कि बच्चे घर में ही नए साल का जश्न मनाए, टी वी देखे और घर में ही स्पेशल डिश बनाकर चाहे तो नाचते गाते हुए ही खाए पर बाहर नहीं जाए, लेकिन अधिकांश बेटियों को यह सीख बोर करने वाली महसूस हो रही है इसीलिए इस रात इस बार तो वो किसी भी हालत में घर पर नहीं रूकने का अपना मानस पक्का बना चुकी है। पिछले कुछेक महीनों से जिस तरह से कॉलेज में हर दूसरे सप्ताह कभी फ्रेशर्स पार्टी तो कभी इंट्रोडक्शन मीट, कभी एज्यूकेशन टूर तो कभी टीचर्स के सम्मान में होने वाले कार्यक्रमों में लड़कियों को भौंड़े फिल्मी गीतों पर मनचले युवकों के साथ नचवाने की जो परंपरा डाली गई, लड़कियां अब हर किसी आयोजन पर इस परंपरा का निर्वाह करने के लिए उतावली रहने लगी है। नए साल पर भी नाचने की ऐसी ही शौकिन लड़कियां जो कॉलेज के मंच पर नाचकर अपनी पहचान बोल्ड गर्ल्स के रूप में उभार चुकी है उनको होटलों, रिसोर्ट या अन्य कहीं पर तेज म्यूजिक पर नचवाने की उनके कॉलेज के ही लड़कों की तैयारी पूरी है। विश्वास भले ही इस पर कोई अभिभावक करे या नहीं, लेकिन यह सच नवज्योति टीम की पड़ताल के बाद ही सामने आया है। नवज्योति टीम ने जब शहर की विभिन्न होटलों और रिसोर्टस जहां कार्यक्रम प्रस्तावित है वहां पता किया तो अधिकांश के वहां कपल्स पासेज बिक चुके हैं। यह पासेज खरीदने वालों में शादीशुदा जोड़े गिनती के होंगे अधिकांश पासेज कॉलेज गोइंग बॉयज ने ही खरीदे हैं। जी हां बहुत से कॉलेजी छात्रों ने इस बार अपनी सहपाठी छात्राओं को घर से बाहर निकालने के लिए जो व्यूह रचना बनाई है वो न केवल चौंकाने वाली है बल्कि चिंता में डालने वाली भी है। यदि आपकी बेटी को नए साल का जश्न मनाने उसकी कोई सहेली लेने आए तो आप सहजता से उस पर भरोसा मत कीजिएगा क्योंकि इस सहेली को लड़कों ने ही भेजा हो सकता है। अभिभावकों के लिए यह समय सोचने का कम सजग और सतर्क रहने का ज्यादा है। बेटियों को उन्हें यह अब भले ही मुखर होकर समझाना ही होगा कि रात को घर से बाहर नाचने की परंपरा कम से कम अपने शहर की तो नहीं है और न ही अपने परिवार की। साथ ही उन्हें अपनी बेटी की सहेलियों के बारे में भी अभी से ही पूरी पड़ताल कर ही लेनी होगी क्योंकि अभी नए साल के जश्न में कुछ दिन बाकी है।




















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