Monday, January 11, 2010

इडियट यानी इडियट

जोधपुर। आमिर खान भले ही अपने खिलाफ उठे विरोध के स्वरों को शांत करने के लिए यह कहे कि इडियट यानी जीनियस, लेकिन समझदार और बुद्धिमान लोग तो इडियट का मतलब इडियट ही निकालेंगे और है भी यही। बॉक्स आफिस पर धूम मचा रही इडियट फिल्म ने पहले से ही परेशान अभिभावकों की दिक्कतों को और बढ़ा दिया है। हर घर में इन दिनों इडियट की चर्चा है और बच्चे आमिर खान का उदाहरण पेश करके अब अभिभावकों को आंखे दिखाने लगे हैं। जिद करके वे अपने अभिभावकों को भी यह फिल्म दिखा आए हैं और अब घर में यही जद्दोजहद चल रही है कि यदि वे उन्हें फलता फूलता देखना चाहते हैं तो कॅरियर को लेकर उन पर कभी भी किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं बनाए। इस फिल्म में इंजीनियर बनने के दबाव में एक व्यक्ति को आत्महत्या करते दिखाया गया है तो कॉलेज के प्रोफेसर के बेटे की आत्महत्या को भी बार बार ऐसे ही संवादों में जोड़ा गया है। यही नहीं आमिर खान भी एक जगह कॅरियर के दबाव में होने वाली आत्महत्याओं का आंकड़ा गिनाकर भयावह और डरावनी स्थिति को ही पेश करते है। फिल्म का प्रस्तुतिकरण जरूर प्रभावी है इसलिए बच्चे इस संदेश को सहजता से ही न केवल समझ रहे हैं बल्कि अपनी जिंदगी में उतारने का संकल्प भी ले रहे हैं। वे इसको एक फिल्म मानने के लिए तैयार ही नहीं है...उन्हें लग रहा है कि यही जीवन की हकीकत है। बच्चों में इस फिल्म के प्रति जगे इस भाव के बाद अभिभावक स्वयं को न केवल ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं बल्कि उनमें अब डर भी जागा है कि कहीं यदि उनके बेटे या बेटी ने आत्महत्या कर ली तो...। इस रूप में इस फिल्म ने अधिकांश घरों की शांति में खलल पैदा कर दिया है। बच्चों को इस फिल्म में एक किरदार के अच्छा वाइल्ड फोटोग्राफर, आमिर खान के अच्छा इंजीनियर और एक को अच्छी नौकरी मिलते हुए तो नजर आता है, लेकिन उनकी आंखे यह देखने के बाद भी यह महसूस नहीं कर पा रही कि जिस तरह से आमिर खान एक शॉट में रैगिंग का जवाब सामने वाले को बिजली का करंट लगा कर देते हैं, क्या असल जिंदगी में यह संभव है ? क्या एक छात्र किसी को बिजली का करंट देकर घायल करने के बाद भी अपनी पढ़ाई को नियमित रूप से जारी रख सकता है? क्या उस पर उस स्थिति में पुलिस में मुकदमा नहीं चलता? लेकिन यह फिल्म है इसीलिए आमिर खान करंट देकर किसी को बुरी तरह से घायल करने के बाद भी सामान्य रूप से अपनी पढाई जारी रखते हैं। इसलिए सब कुछ सहज रूप से चलता रहता है।
इसी तरह फिल्म की कहानी में यह राज खुलता है कि आमिर खान ने इंजीनियरिंग की डिग्री अपने मालिक के बेटे के लिए हासिल की और आमिर खान की ओर से हासिल की गई डिग्री उनके मालिक का बेटा उपयोग में लेकर सरकार से करोडाÞें रूपए के ठेके उठा रहा है। क्या यह भी असल जिंदगी में संभव है ? यदि है भी तो क्या गंभीर अपराध नहीं है यह ? और यदि हां तो फिर थ्री इडियट का यह किरदार किस तरह से युवाओं का आदर्श बन सकता है ? फिल्म देखकर इसका गुणगान गाकर इसे जिंदगी में उतारने की जिद करने वाले युवाओं को यह भी समझना ही चाहिए।
इस फिल्म में रटने की आदत पर जो प्रहार किया गया है वो वाकई सराहनीय है और इसका प्रस्तुतिकरण भी असरकारक है, लेकिन जिस तरह से इस फिल्म के किरदार खुले आम शराब पीते हैं....शराब पीकर किसी लड़की के घर में घुस जाते हैं......वहां अपने कॉलेज के प्रिंसीपल को गालियां निकालते हैं और यही नहीं वो बिना बुलाए शादी समारोह में पहुंच कर मुफ्त का खाना भी खाते हैं। क्या वास्तविक जीवन में यह सब कुछ अपने समाज में स्वीकार्य है? या ऐसा करने वालों को कोई अपने यहां जीनियस मानता है? कॉलेज में शराब पीने की इजाजत कौनसे अभिभावक दे सकते हैं? क्या यह परमिशन उन्हें देनी चाहिए? या इसमें भी अभिभावकों को केवल इसीलिए ही चुप रहना चाहिए कि बेटे का मन है इसलिए उसे पीने दो? नहीं तो वो आत्म हत्या कर देगा। लेकिन इस फिल्म में यह सब करतुतें किरदार निभाते हैं। न उन्हें लज्जा आती है और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होती है क्योंकि यह फिल्म है इसलिए ही यह सब कुछ सहज लगता है। यकीन नहीं होता है एक बार इस तरह की हिम्मत करके देखो आपको सब अंतर समझ में आ जाएगा।
यह फिल्म अच्छी है इसमें कोई संदेह नहीं, लेकिन यह फिल्म हमारी जिंदगी का आइना है यह मानना पूरी तरह से गलत है युवाओं को यह समझ में आना चाहिए। इस फिल्म में जिस तरह से एक किरदार फ्लाइट की इमरजैंसी लेंडिंग करवा कर भाग जाता है क्या वास्तविक जिंदगी में ऐसा हो सकता है, बिल्कुल नहीं क्योंकि ऐसा करने वाले सीधे जेल जाते हैं घर नहीं। यही नहीं इस फिल्म में शादी के मंडप से जिस तरह से करीना कपूर को आमिर खान के दोस्त भगा ले जाते हैं क्या वास्तविक जीवन में ऐसा हो सकता है ? क्या हमारा समाज इसको मान्यता देता है ? क्या यह करीना का अपने पिता के प्रति अपराध नहीं है ? और जिस तरह से आमिर खान अपने द्वारा हासिल की गई इंजीनियरिंग की डिग्री को अपने मालिक के बेटे को देकर खुद आसमान की बुलंदिया हासिल कर लेते हैं कोई ऐसा उदाहरण असल जिंदगी में आपके आस पास हैं क्या, शायद दूर दूर तक नहीं है। यह सही है कि अभिभावकों को बच्चों पर अपनी इच्छाओं का कॅरियर नहीं थोपना चाहिए, लेकिन यह सब परिस्थिति पर निर्भर करता है। जिस तरह से इस फिल्म के एक किरदार को विदेश से वाइल्ड फोटोग्राफी करने का निमंत्रण मिल जाता है आप खुद अपने इर्दगिर्द देखकर बताओ ऐसे भाग्यशाली लोग कितने हैं ?
इस फिल्म को प्रभावी बनाने के लिए एक शॉट डिलेवरी का भी है। इस पूरे दृश्य पर डॉक्टरों की हंसी रोके नहीं रूकती। उनका मानना है कि यह संभव नहीं है, पर यह फिल्म है इसलिए डिलेवरी भी हो ही जाती है।
युवाओं को इन सब स्थितियों को समझ कर इस फिल्म के प्रभाव से बाहर निकलना चाहिए और मनोरंजन तक ही सीमित रहकर यह गहरे समझ लेना चाहिए कि इडियट इडियट ही होते हैं जीनियस नहीं। क्योंकि फिल्म में आमिर खान जिस तरह से मटरगश्ती करते हुए मैरिट हासिल कर लेते हैं क्या बिना पढे यह सब कुछ वास्तविक जीवन में हो सकता है। नहीं ना...तो मान गए ना कि थ्री इडियट हमारी जिंदगी का आइना नहीं केवल पैसा कमाने के लिए बनाई गई एक मनोरंजक फिल्म ही है। आमिर जीनियस है, लेकिन तुम उसको फॉलो बनकर इडियट मत बनो।

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