Monday, January 11, 2010

बस पुलिस आज कृष्ण बन जाऐ

जोधपुर। घर में ही रहकर नये साल का जश्न मनाने की अभिभावकों की सलाह कई बेटियों को मंजूर नहीं है। इस मामले को लेकर वे अब अपनों के ही सामने बगावत पर उतर आई है। कई हैं जो मां को ढाल बनाकर बाप को भावनाओं में उलझा रही है तो कोई अपने भाई को घर में दी जाने वाली स्वतंत्रता को हथियार बनाकर उग्र रूप धारण किए हुए है। हालांकि बेटियों की इस कतार में कई ऐसी भी हैं जिन्हें मां बाप की इन नसीहतों में बहुत कुछ स्वयं के लिए ही अच्छा लग रहा है इसलिए वे तो राजी हो गई हैं, लेकिन अधिकांश अभी भी इस जिद पर अडी हुई हैं कि आखिर हम सहेलियों के साथ नये साल का जश्न मनाने के लिए बाहर होटलों में जाए तो इस पर भला किसी को एतराज क्यों ? लेकिन उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि यदि मां बाप कह रहे हैं कि इस दिन बेटी तुम घर में ही रहना तो इस बेटी को आपत्ति क्यों ? और आखिर क्यों वो मां बाप की इच्छाओं के विरूद्ध जाकर होटलों मे जाने के लिए उतावली है ? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। दैनिक नवज्योति ने आज शहर में एक सौ बारह से ज्यादा ऐसे परिवारों में बेटियों और अभिभावकों से बातचीत कर इस संदर्भ में उनका मन टटोलने की कोशिश की तो अधिकांश बेटियों ने कहा कि हमें अपना भला बुरा पता है। हम नई पीढ़ी की हैं। जिनको हमने दोस्त बनाया है वो हमारी पहचान वाले हैं। ऐसी बेटियों ने अपनी छाती फुलाते हुए दो टुक शब्दों में अपने माता पिता को दकियानुसी सोच वाला ठहराने से भी परहेज नहीं किया। उन्हें यह कहते भी तनिक शर्म महसूस नहीं हुई कि उसके मां बाप की यही सोच उनकी प्रतिभा को भी प्रभावित कर सकती है। यदि पार्टी में हम किसी के साथ नाच भी लेती है तो इसमें हर्ज क्या हैं ? वास्तव में धन्य हैं ऐसी बेटियां। जिन घरों में बेटियां इस तरह बिफर कर सामने आई वहां अभिभावकों की हालत महसूस करने लायक है। बेटियों के इस तरह लज्जित करने के बाद भी उन्हें अपनी लाडलियों की चिंता है। गुस्सा हालांकि उन्हें खूब आ रहा है, लेकिन जवान बेटी है इसलिए कुछ भी कहना फिलहाल वे ठीक नहीं समझते। इन अभिभावकों की अब सारी उम्मीदें पुलिस पर टिकी है। वे कह रहे हैं कि पुलिस को चाहिए कि वे ऐसी तमाम होटलों में अपने सिपाहियों की इतनी बड़ी फौज तैनात कर दे कि कहीं कोई हरकत करने की जुर्रत ही ना कर पाए। सड़कों और निकटतम पार्कों और सुनसान जगहों पर भी कम से कम आज के दिन तो पुलिस के सिपाही तैनात रहने ही चाहिए। इन अभिभावकों को आशंका है यदि पुलिस सजग नहीं रही तो तय है उनकी बेटियों के साथ अभद्रता तो होगी ही। इसलिए पुलिस को आज अपनी तमाम व्यस्तताएं छोड़कर एक रूप में कृष्ण की भूमिका निभानी चाहिए। महाभारत में जैसे द्रोपदी की लाज बचाने कृष्ण आए थे वे भी पुलिस भी आज उसी रूप में हर उस जगह पर अपनी निगाहें गड़ा दे जहां लड़के-लड़कियां मिलकर नाचने गाने वाले हैं। हर पार्टी पर पुलिस का पहरा होना आज बहुत जरूरी है। आज यदि सब कुछ ठीक हो गया तो कल विश्वास कीजिए हम अपनी बेटियों को भी अच्छे से उस भाषा में समझा देंगे जिसमें वो समझना चाहती है....बस बात आज रात की ही है। शांति से गुजर जाए तो खैर मनाएंगे।

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