Wednesday, November 4, 2009

मेल मिलाप का घिनौना खेल!

जोधपुर। यदि आप अभिभावक हैं और आपका बच्चा कहीें किसी इंस्टीटयूट या किसी ऐसे टयूटर के पास टयुशन पढ़ने जाता है जहां और भी लड़कें लड़कियां पढ़ने के लिए आते हैं तो यह समय आपके लिए सजग और सतर्क रहने का है, विशेषकर उन स्थितियों में जब आपके बच्चों के पढ़ने जाने का समय अंधेरा ढलने के बाद का या दोपहर का है। दैनिक नवज्योति को मिली एक स्टूडेंट की चिट्ठी जिसमें हालांकि उसने अपनी पहचान को पूरी तरह से गुप्त रखा है ने चौंका दिया है। मीनाक्षी के नाम से आई इस चिट्ठी में इस स्टूडेंट ने साफ तौर पर ऐसे टयुशन सेंटर चलाने वालों पर उंगली उठाई है और कहा है कि पढाई के नाम पर अधिकांश टयूटर लड़कियों पर लड़कों के साथ दोस्ती बनाने का दबाव बनाते हैं। टयुशन के दौरान वो मानसिक रूप से इस कदर लड़कियों पर लड़कों के साथ दोस्ती करने का प्रेशर बना देते हैं कि मजबूरन लड़कियों को उनकी बात मानने के लिए विवश होना ही पड़ता है। बदमाश किस्म के ये लड़के टयूटर को इसके लिए अतिरिक्त फीस का भुगतान करते हैं। इस लड़की की ही यदि माने तो जो सच इसने उजागर किया है वो रोंगटे खड़े करने वाला है। दैनिक नवज्योति ने इससे पहले कॉलेजों की फ्रेशर्स पार्टी में भी कॉलेज संचालकों द्वारा अपने मनचले दोस्तों को बुलाकर उनके साथ लड़कियों को नचवाने जैसे सच को उजागर करने की कोशिश की थी। इस लड़की ने भी अपने पत्र में जो कुछ लिखा है वो कुछ वैसा ही है। चिट्ठी के माध्यम से इस लड़की ने दैनिक नवज्योति से अपील की है कि वे अभिभावकों को इस भयावह सच्चाई से अवगत कराए। हालांकि इस लड़की ने अपने पत्र में यह भी उजागर नहीं किया है कि वो किस सेंटर में पढ़ती है, और कहा है कि मीनाक्षी उसका काल्पनिक नाम है, वास्तविक नाम के साथ यदि वो सामने आई तो उसका भविष्य बर्बाद हो जाएगा और हो सकता है कोई उससे शादी भी नहीं करे। साथ ही उसके घर वालों को भी सदमा लगेगा, लेकिन यह उसने जरूर लिखा है कि टयुशन सेंटरों के नाम पर जोधपुर में बहुत कुछ गलत हो रहा है। टयुशन पढ़ने के दौरान ही जानबूङा कर ऐसा माहौल क्रिएट किया जाता है कि लड़की को मजबूरन आवारा और बदमाश किस्म के लड़कों के साथ पहले बातचीत का सिलसिला शुरू करना ही पड़ता है और बाद में दिखावे की यह दोस्ती जिंदगी को बदरंग करती चली जाती है। गौरतलब हैं कि जिस समय यह दबाव लड़की पर बनता है उस समय लड़की हिचक और शंका के कारण घर पर यह सब नहीं बता पाती। इसके अलावा घर वालों का भी बच्चों पर पढाई के लिए इतना दबाव रहता है कि यदि बच्चो इस संदर्भ में कुछ बोलना भी चाहते हैं तो बोल नहीं पाते। इधर अधिकांश अभिभावक महंगाई के इस दौर में जैसे तैसे करके बच्चों के टयूशन की फीस का इंतजाम करते हैं। बच्चों को यह सच्चाई पता है, इसलिए कई हैं जो मन मारकर सब कुछ सहते हुए सेशन पूरा होने का इंतजार करते रहते हैं। गौरतलब हैं कि इन दिनों हर गली चौराहे पर टयूशन सेंटर स्थापित हैं। इन टयूशन वालों पर निगरानी रखने के लिए न तो प्रशासनिक स्तर पर कोई व्यवस्था है और न ही किसी और स्तर पर ही कुछ। अभिभावक अपनी व्यस्तता में उलङो हैं और पुलिस व प्रशासन के पास शिकायत आने पर भी जांच करने की फुर्सत नहीं है तो जागरूकता के लिहाज से जांचने की वो सजगता कहां से दिखाए। इसी का फायदा टयुशन सेंटर वाले उठा रहे हैं। नवज्योति को मिले इस पत्र में लिखा है कि अधिकांश टयूटर एक साथ फीस वसूल कर लेते हैं, आरम्भिक दिनों में जब तक फीस नहीं आती तब तक सब कुछ ठीक ठाक रहता है, लेकिन जैसे ही सबकी फीस जमा हो जाती है यहां मेल मिलाप करवाने का ऐसा घिनौना खेल शुरू होता है जिसकी कल्पना करके ही मन सिहर उठता है। इस पत्र में यह भी लिखा है कि टयूटर जबरन लड़कों से सटकर बैठने के लिए लडक़ियों को विवश करते हैं। नोट्स लेने के लिए वो लड़कों के मोबाइल नंबर लड़कियों को देते हैं और टयुशन के दौरान ही लड़कों के साथ लड़कियों को कहीं ओर से कभी नोट्स तो कभी कुछ और लाने के लिए बाहर भेजते हैं। कई तो हैं जो बच्चों का मूड फ्रेश करने के लिए पार्टियों का आयोजन भी गाहे-बगाहे करते रहते हैं। इसी दौरान जबर्दस्ती होती है और धीरे-धीरे कर बात हद से गुजर जाती है।

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