Sunday, March 14, 2010

महिलाएं मंदिर जाएगी, अकेली भी

भगवा कपड़े पहन कर साधुओं की भूमिका निभा रहे कुछ बाबाओं के चेहरे पर से अब जब नकाब उतरा है तो पूरा देश सकते में हैं। जिन घरो की बहू बेटियां निरन्तर मंदिर और आश्रम आती जाती रही है उन्हें भी संदिग्ध नजरों से देखा जाने लगा है। घरों में यह सवाल जवाब मांग रहा है कि कौनसे मंदिर और आश्रम में जाएं और कौनसे में नहीं। किस बाबा से वे बात करें और किससे नहीं। कौनसा बाबा वास्तव में भगवान का सच्चा सेवक है और कौनसा नहीं। जवाब किसी से देते नहीं बन रहा, लेकिन बड़ी सख्या में लोग दोषी ऐसे बाबाओं के लिए सीधे तौर पर मृत्यु दंड की ही मांग कर रहे हैं वहीं साधुओं का एक तबका दबे स्वरों में इसे साजिश करार दे रहा है। इस मामले में उनकी साधुओं को तो क्लीन चिट हैं लेकिन महिलाओं को वे कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। उन्हें यह कहने में शर्म महसूस नहीं हो रही कि इन मामलों में सामने आई युवतियां कोई दूध पीती बच्चियां नहीं है, सब समझदार हैं और अच्छी पढी लिखी हैं। तो वे कैसे किसी के जाल में फंस सकती हैं। यह विडम्बना ही है कि ऐसा कहने वालों के खुद की बच्ची कभी ऐसे रैकेट में नहीं फंसी है....भगवान फंसाए भी नहीं।
इस तरह का तर्क देने वाले सच क्या है ये वे अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन साधु हैं इसीलिए साधुओं का साथ देने के अपने धर्म से विमुख नहीं हो रहे। यह कैसा धर्म है? जिसमें सही और गलत को समझने की ही कोई जहमत नहीं उठाना चाहता। बाबा ने पूरा सैक्स रैकेट खड़ा कर दिया उसका कोई दोष नहीं? सैक्स रैकेट में जो युवतियां शामिल हुई वे अपराधी है? वाह भई वाह? बाबा बहकावे में आकर एक कॉलेजी छात्रा को भगा ले गया। छात्रा पर दोष मढा जा रहा है कि वो भागी ही क्यों ? एक बाबा किसी हीरोइन के साथ बेडरूम में नजर आता है...हीरोइन यह कहकर खिला रही है कि मुझे कोई एतराज नहीं मैं तो बाबा की सेवा कर रही थी। आस्था का यह कैसा अंधेरा? बाबाओं के ऐसे वक्तव्यों के बाद महिलाओं की त्यौंरियां चढ़ी हुई है जिसमें कुछेक बाबाओं ने कहा है किमहिलाओं को अकेले मंदिर जाना ही नहीं चाहिए। यह बयान बाहर आने के बाद अब मामला गर्मा गया है। कुछेक बाबाओं का कहना है कि आखिर महिलाएं अकेली मंदिर जाती ही क्यों हैं? इनका कहना है कि महिलाएं जब भी मंदिर जाए तो साथ में पति, पिता या भाई होना चाहिए। आखिर इस तरह के वक्तव्य जारी करने के पीछे इन बाबाओं का इशारा किस ओर है? यह पूरी तौर पर फिलहाल स्पष्ट नहीं है।
क्या मंदिरों में भगवान की सेवा करने वालों के रूप में वास्तव में बदमाशों का कब्जा हो गया है ? या भगवा वेश में घुमने वाले अधिकांश लोग अब गुंडे, व्याभिचारी और अत्याचार करने वाले हैं? मंदिर और आश्रम क्या वास्तव में अब सुरक्षित स्थान नहीं रहे? आखिर सच है क्या? बाबा बता नहीं रहे। कहीं बाबा ऐसा कह कर यह कहने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैँ कि कुछेक महिलाएं जो बदमाश प्रवृत्ति की हैं अपने स्वार्थ को साधने के लिए पर पुरूषों के साथ मिलकर मंदिर व आश्रम का माहौल खराब कर रही हैं। ऐसी ही महिलाएं साधुओं को भी पहले बहका रही है फिर उनके कारनामों को जग जाहिर कर रही है? या बदमाश व आवारा किस्म की महिलाओं को देखकर साधुओं की साधना टूट रही हैं और वे स्वयं को रोक नहीं पा रहे ? कुछ भी हो दोष अकेले महिलाओं पर क्यों मढा जा रहा है? महिलाओं के मंदिर में अकेले प्रवेश नहीं जाने संबंधी वक्तव्यों के गर्भ में क्या है वे बाबा ही जाने जो ऐसा कह रहे हैं, लेकिन आम लोग विशेषकर महिलाएं बाबाओं के इस तरह के बयानों के बाद गुस्से में हैं। इतना कुछ हो जाने के बाद भी केवल यह कह कर रह जाना कि महिलाओं को अकेले मंदिर नहीं जाना चाहिए फिलहाल उनकी क्या किसी की भी समझ में नहीं आ रहा। और उस स्थिति में तो बिल्कुल भी नहीं जब महिलाएं सत्ता में तैंतीस फीसदी आरक्षण संबंधी बिल राज्य सभा में पास हो जाने पर खुशियां मना रही हैं।
पैंतीस वर्षीय श्रीमती मीनाक्षी शर्मा बताती हैं कि आज बाबा कह रहे हैं कि महिलाएं अकेले मंदिर नहीं जाएं कल संसद में बैठे लोग कहेंगे कि आखिर यहां महिलाओं का काम क्या ? हो सकता है कि महिलाओं के बाद में घर से बाहर निकलने में उनके परिजन ही फिर से पाबंदी लगाने लग जाए। यदि कोई सोच भी रहा है तो यह उसकी भूल है।
बाबाओं ने भोली भाली बच्चियों को बहकाकर उनसे उलटा काम करवाया, इसमें कोई संदेह नहीं। कानून ऐसे बाबाओं को सजा देगा और महिलाएं भी उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। शर्मा का कहना है कि इस तरह के मामले सामने आने के बाद महिलाएं चुप बैठने वाली नहीं है....वे अकेले ही मंदिर जाएगी और आस्था के समंदर में यदि उन्हें कहीं कोई काला नाग नजर आया तो वे उनका फन कुचल देगी। मंदिरों में तथाकथित बाबाओं की घुसपैठ पर भले ही धमार्वलंबी चुपचाप बैठ कर तमाशा देखते रहे, लेकिन महिलाएं अब चुप नहीं बैठेगी। वे भगवा वेश में बदमाशों को पहचान को दंड देने के लिए तैयार है। सच की इस लड़ाई में जो साथ उसका स्वागत है।

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